राजद की विचारधारा

राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारतीय राजनीति की एक प्रमुख पार्टी, अपनी विशिष्ट विचारधारा के लिए जानी जाती है। इस पार्टी का गठन वर्ष 1997 में हुआ था, जब लालू प्रसाद यादव ने जनता दल से अलग होकर नई राजनीतिक पहल की थी। राजद की विचारधारा को मुख्यतः तीन प्रमुख बिंदुओं में बांटा जा सकता है:
 सामाजिक न्याय और समानता:
राजद की विचारधारा का सबसे महत्वपूर्ण तत्व सामाजिक न्याय है। पार्टी का मानना है कि समाज के हर वर्ग को बराबरी का अधिकार प्राप्त होना चाहिए। इसके लिए, राजद ने पिछड़े वर्गों, दलितों, और अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए विशेष प्रयास किए हैं।
 लोकतांत्रिक मूल्य और धर्मनिरपेक्षता:
राजद लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को भारतीय राजनीति के दो महत्वपूर्ण स्तंभ मानता है। पार्टी का यह भी विश्वास है कि राजनीति में धार्मिक और जातिगत भेदभाव का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

राजद की विचारधारा में कृषि और ग्रामीण विकास को भी प्रमुखता दी गई है। यह पार्टी कृषक समुदायों और ग्रामीण भारत के विकास के लिए विशेष नीतियाँ और कार्यक्रम संचालित करती है।
राजद की इन विचारधाराओं ने बिहार और झारखंड की राजनीति में गहरा प्रभाव डाला है। यह पार्टी न केवल सामाजिक न्याय और समानता की बात करती है, बल्कि इसने अपने राजनीतिक कार्यकाल में इन सिद्धांतों को क्रियान्वित करने का भी प्रयास किया है। राजद की विचारधारा ने भारतीय राजनीति में सामाजिक और आर्थिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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