बिहार में 75 प्रतिशत आरक्षण एक मिसाल

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अगस्त 2022 में बिहार में नई सरकार के गठन के बाद राष्ट्रीय जनता दल ने महागठबंधन के सबसे बड़े घटक दल के रूप में नीतिगत पहलुओं पर बड़ी भूमिका निभाई है। श्री तेजश्वी यादव जी के नेतृत्व में हमारी पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनावों में यह घोषणा किया था कि अगर हम सरकार में आएंगे तो 10 लाख युवाओं को रोज़गार देंगे।

उस समय विपक्ष के लोगों ने यह कहकर आलोचना किया कि लाखों रोजगार देने के लिए बिहार सरकार के पास पैसे और संसाधन नहीं है। मगर आज जब हम सत्ता में आये हैं तो आपको यह जानकर ख़ुशी होगी हम अपने घोषणा के अनुसार 2.25 लाख युवाओं को रोजगार दे चुके हैं और 10 लाख रोजगार के अवसर को स्थापित करने की ओर अग्रसर हैं। उस समय हमारी आलोचना करने वाले कई लोग आज श्री तेजश्वी यादव जी के मार्गदर्शन में हमारे सामाजिक और आर्थिक न्याय के संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं।

वर्तमान की महागठबंधन की सरकार ने कई ऐतिहासिक फैसले लिए है जिसका सकारात्मक असर आने वाली कई पीढ़ियों पर पड़ेगा।

महागठबंधन की सरकार बनने के बाद जातिगत जनगणना करवाने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना। राज्य की वर्तमान आर्थिक और सामाजिक संरचना को समझने के लिए यह एक अभूतपूर्व कदम था। इसके माध्यम से देश के लोगों के बीच बिहार के वास्तविक सामाजिक परिस्तिथि और आर्थिक हालात के बारे में एक बेहतर समझ बनी।

जातिगत जनगणना से पता चला की आरक्षण लागु होने के 30 साल पूरा होने के बावजूद आज भी पिछड़ा वर्ग के 33.16 %, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 33.58 %, अनुसूचित जाति के 42.93 %, अनुसूचित जनजाति के 42.70 % परिवार गरीबी रेखा के स्तर पर हैं। बिहार के लगभग 64 % परिवार प्रति माह 10,000 रूपये से कम पर गुज़ारा करते हैं जिस कारण हमारी विशेष राज्य के दर्जे की मांग जायज़ है। अगर शिक्षा की बात करें हमारे राज्य के 9% से भी कम लोग स्नातक हैं। वर्तमान परिस्तिथि में आरक्षण और सामजिक न्याय की लड़ाई और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गई है जिसके विरोध में भाजपा हमेशा से रही है।

जातिगत जनगणना के परिणाम आने के बाद हमारी गठबंधन की सरकार ने एक बार फिर ऐतिहासिक फैसला लेते हुए आरक्षण के दायरे को 75 % बढ़ा दिया। इसका सीधा फायदा बिहार सरकार के द्वारा दिए जाने वाले नौकरी और सरकारी शिक्षण संस्थानों में मिलने एडमिशन में पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, और अनुसूचित जाती एवं जनजाति को मिलेगा।

हम सभी को यह बात जनता के बीच रखने की जरुरत है कि जातिगत जनगणना और 75 प्रतिशत आरक्षण का फैसला बिहार में NDA के 13 साल शासन काल में नहीं हुआ बल्कि एक साल पुरानी राजद की अग्रणी भूमिका वाले महगठबंधन सरकार में हुआ है। 75 प्रतिशत आरक्षण लागु करके बिहार ने पुरे देश के सामने सामाजिक न्याय की लड़ाई में एक मिसाल साबित किया है।

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